कहीं आपकी कुंडली में तलाक के योग तो नहीं ?



पांच दशक पहले तक हिन्दू समाज में तलाक के प्रकरण बहुत कम देखने को मिलते थे। वर्तमान समय में इनमें बहुत तेजी से वृद्धि हुई है। आधुनिक शिक्षा, भौतिकवादी जीवन,पाश्च्यात जीवन शैली, संयुक्त परिवारों का टुटना इसके प्रमुख कारण है।

वर्तमान समय में जब स्त्री-पुरुष कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहे है, तो अब तलाक शब्द ज्यादा सुनाई देने लगा है। इसका एक कारण सहनशीलता का अभाव भी है। लड़कियाँ अपने पैरों पर खड़े होने लगी है और उन्हें भी लगता है कि वह आजीविका में बराबर की हिस्सेदार है ,तो वह अपने साथी के सामने क्यों झुके!

तलाक के कारणों का ज्योतिषीय आधार पर विश्लेषण करने का प्रयास करते हैं। कुंडली में ऎसे कौन से योग हैं जिनके आधार व्यक्ति का तलाक हो जाता है। या किन्हीं कारणो से पति-पत्नी एक-दूसरे से अलग रहना आरंभ कर देते हैं।

१) जन्म कुंडली में सप्तम भाव व सप्तमेश पर विच्छेदात्मक ग्रहों का प्रभाव।(राहु,मंगल, शनि, सूर्य)

२) कुंडली में चतुर्थ भाव का स्वामी छठे भाव में स्थित हो या छठे भाव का स्वामी चतुर्थ भाव में हो तब यह  तलाक दर्शाता है।

३) बारहवें भाव के स्वामी की चतुर्थ भाव के स्वामी से युति हो रही हो और चतुर्थेश कुंडली के छठे, आठवें या बारहवें भाव में स्थित हो तब पति-पत्नी का अलगाव हो जाता है।

४) अलगाव देने वाले ग्रह शनि, सूर्य तथा राहु का सातवें भाव, सप्तमेश और शुक्र पर प्रभाव पड़ रहा हो या सातवें व आठवें भावों पर एक साथ प्रभाव पड़ रहा हो।

४) जन्म कुंडली में सप्तमेश की युति द्वादशेश के साथ, सातवें भाव या बारहवें भाव में हो रही हो। सप्तमेश व द्वादशेश का आपस में राशि परिवर्तन हो रहा हो और इनमें से किसी  भी के साथ राहु की  युति हो।

५) जन्म लग्न में मंगल या शनि की राशि हो और उसमें शुक्र लग्न में ही स्थित हो, सातवें भाव में सूर्य, शनि या राहु स्थित हो।

६) जन्म कुंडली में सूर्य, राहु, शनि व द्वादशेश चतुर्थ भाव में स्थित हो।

७) जन्म कुंडली के लग्न या सातवें भाव में राहु व शनि स्थित हो और चतुर्थ भाव अत्यधिक पीड़ित हो या अशुभ प्रभाव में हो तब तब भी तलाक होने के योग बनते हैं।

८) शुक्र से छठे, आठवें या बारहवें भाव में पापी ग्रह स्थित हों और कुंडली का चतुर्थ भाव पीड़ित अवस्था में हो।

९) षष्ठेश एक अलगाववादी ग्रह हो, वह दूसरे, चतुर्थ, सप्तम व बारहवें भाव मे स्थित हो तब भी अलगाव होता है।