कुंडली का नवम भाव और आपका भाग्य


हम सभी एक मन में एक प्रश्न आता हैं मैं भाग्यशाली हूँ या नहीं कितना भाग्य हैं मेरा भाग्य साथ देगा या नहीं, और बहुत से लोग भाग्य को नहीं मानते वो लेकिन वो सच नहीं भाग्य लक तो सभी का होता हैं किसी का अच्छा या किसी का बुरा पर होता हैं |

कुंडली में बात करे तो भाग्य स्थान हैं 9 स्थान भाग्य है इसके बल के अनुसार हम कह सकते हैं कि यह भाग्य साली हैं या नहीं , 9 स्थान और उसके स्वामी के बल के अनुसार हम पता लगा सकते हैं की यह भाग्य साली हैं या नहीं , सबसे पगले कुछ सूत्र  जिससे पता लगे की यह भाग्यशाली हैं , 

9 भाव को उच्च का होना , नवमेश और लग्नेश का दृष्टि युति के द्वारा सम्बद, नवम भाव का केंद्र में त्रिकोण में होना या केंद्र त्रिकोण के साथ होना , नवमेश का 3 भाव में होना जिससे वो 9 भाव अपने भाव को पूर्ण दृष्टि से देखेगा , इस तरह आप लोग बहुत से योग बना सकते हो भाग्य साली होने के तो , इन सभी में नवमेश और लग्नेश का सम्बद , केंद्र , त्रिकोण का सम्बंद आदि अब यह भाग्य साली नहीं उसके वारे में , भाग्य हैं इसमें लग्नेश और नवमेश का अच्छा होना आदि पहले लिखा ही हैं तो इसमें भाग्यहीन होने का हम सिर्फ एक नवम भाव से ही नहीं लग्न से देखेंगे या शुरू करेंगे , लग्नेश का नीच , अस्त , पाप ग्रहों से पीड़ित होना दुर्भाग्य की पहली निशानी हैं क्योंकि लग्न ही हमारा शरीर हैं जब लग्नेश पीड़ित होगा तो शरीर स्वस्थ नहीं होगा तो यह हमारा दुर्भाग्य हैं 

अब दूसरा नवम भाव का नीच अस्त , 6 -8-12भाव में होना जब भाग्य स्थान का स्वामी नीच अस्त या पाप ग्रहों के बीच या त्रिक भाव में होगा तो भाग्य बिलकुल साथ नहीं देगा , भाग्य स्थान ही हमारा 9 भाव हैं और 9 भाव ही हमारा धर्म हैं 9 भाव ही हमे आस्तिक या नास्तिक हैं यह बताएगा , धर्म के बिना सुख नहीं मिलता कभी और सुखी रहने के लिए भाग्य की आवश्यकता होती हैं अब 9 भाव में अगर पाप ग्रह हो तो हमे दुर्भाग्य ही देगे , और लग्नेश की बात की तो चन्द्रमा भी एक लग्न हैं और चन्द्रमा के बल पर हमारी काफी कुंडली निर्भर करती हैं योग शुभ हो या अशुभ ज्यादा चन्द्रमा के बल पर ही बनते हैं अगर चन्द्रमा जो की एक लग्न हैं तो चन्द्रमा जब सूर्य के साथ हो तो दुर्भाग्य ही देगा , सुख देने वाला ग्रह हैं गुरु जो की सुख का कारक भी हैं वो जब चन्द्रमा से 6 -8-12  होगा तो दुर्भाग्य ही देगा क्योंकि चन्द्र एक लग्न हैं और गुरु जो की एक भाग्य है  

सुख हैं उसका कोई भी प्रभाव चंद्र पर नहीं होगा , चन्द्रमा सूर्य से दूर बलबान हुआ तो भाग्य देगा पर चन्द्र पर किसी भी तरह का अच्छा या बुरा प्रभाव नहीं हुआ तो मतलब चन्द्रमा के आगे , पीछे भी कोई ग्रह नहीं केंद्र तरीकों में भी चन्द्रमा से कोई ग्रह नहीं तो हमे यह दुर्भाग्य ही कहेंगे