कुंडली में शुभ,अशुभ और पापी ग्रह और उनका प्रभाव

        
गुरु(बृहस्पति) शुक्र बुध और पूर्ण बली चन्द्र यह शुभ ग्रह है।बुध यदि अकेला कुंडली में हो या शुभ ग्रहो के साथ हो तो शुभ और पाप ग्रहो के साथ हो तो पापी हो जाता है।शनि राहु केतु यह पाप ग्रह है तो मंगल क्रूर ग्रह है सूर्य भी एक क्रूर ग्रह है लेकिन मंगल से कुछ कम क्रूर है।    

जब कुंडली के शुभ ग्रहो गुरु शुक्र बुध चन्द्र पर पाप ग्रहो का किसी भी तरह प्रभाव न हो साथ ही विशेष लग्न पंचम नवम चतुर्थ सप्तम भाव और इन भावेशों पर पाप ग्रहो का प्रभाव न हो मतलब कि जातक के जीवन से जुड़े महत्वपूर्ण पहलुओ जैसे सप्तम भाव(विवाह) पंचम भाव(संतान, बुद्धि, शिक्षा, प्रेम, पुर्नजन्म आदि) चतुर्थ भाव गृहस्थी, लग्न(खुद जातक और पूरे जीवन की नींव) और सुख दायक ग्रहों गुरु शुक्र बुध चन्द्र यह सभी पाप ग्रहो के प्रभाव से दूर हो यदि किसी पाप ग्रह का प्रभाव भी है तो एक से ज्यादे का न हो तब जीवन बहुत आसानी और सुख से बीत जाता है।

लेकिन जब इन्ही भाव भावेशों पर ज्यादा से ज्यादा पाप ग्रहो का प्रभाव हो शुभ ग्रह भी पाप ग्रहो के प्रभाव में हो तब जीवन कठिनाई से बीतता है क्योंकि शुभ ग्रह स्थाई सुख देने वाले ग्रह है और पाप ग्रह दुःख देने वाले ग्रह है।यदि पाप ग्रहो के कारण कोई सुख मिलता भी है तो वह बहुत कम समय के लिए होता है एक तरह से कहे कि वह सुख दुःख का निर्माण करने के लिए होता है।जैसे सप्तम भाव और सप्तमेश दोनों शनि और राहु के पाप प्रभाव से पीड़ित हो विवाह कारक गुरु शुक्र पर भी शनि राहु या शनि केतु या मंगल का प्रभाव होने से सप्तम भाव और सप्तमेश दोनो पर शुभ ग्रहो का प्रभाव न हो तब विवाह होने के बाद भी यह पाप ग्रह विवाह के कुछ समय बाद वैवाहिक जीवन को कष्टकारी बनाकर वैवाहिक जीवन बर्बाद कर देते है।

जातक या जातिका कितना भी प्रयास करे वैवाहिक जीवन को सुधारने का लेकिन यह पाप ग्रह वैवाहिक जीवन को कष्टकारी बनाकर उसे बर्बाद करने में कोई कसर नही छोड़ते।इसके विपरीत यदि सप्तम भाव और सप्तम और गुरु शुक्र पर पाप ग्रहो का प्रभाव न हो तब यह शुभ ग्रहो का प्रभाव वैवाहिक जीवन पर हो तब बहुत सुखद और आराम से वैवाहिक जीवन व्यतीत होता है।यदि पाप ग्रहों का प्रभाव लग्न पंचम नवम और चोथे भाव आदि सुख केंद्र त्रिकोण भावो पर कम हो , 3 6 8 11 और 12वे भाव में पाप ग्रहों की स्थिति कुंडली में हो तब यह पाप ग्रह ज्यादा क्रूर और पाप प्रभाव जीवन पर नही डालते साथ ही शुभ ग्रह औऱ केंद्रेश त्रिकोणेश और इन भावेशों के स्वामी पाप ग्रहों से मुक्त होने चाहिए।

इस तरह यदि किसी जातक की कुंडली पर पाप शुभ और पाप ग्रहो के प्रभाव की स्थिति ठीक जगह और युति-योग-दृष्टि-सम्बन्ध आदि के अनुसार ठीक जगह है तो जीवन सुख और आसान तरह से बीतेगा यदि पाप ग्रहो के प्रभाव में ज़िन्दगी के महत्वपूर्ण पहलु ज्यादा है तो कष्ट और संघर्ष से जीवन बीतेगा।