किसी परिवार में बच्चे का जन्म होना परिवार में वंश वृद्धि का परिचायक है |
बच्चे के जन्म के साथ ही बच्चे की स्वस्थता जानने के उपरांत सबसे पहले सबका यही प्रश्न होता है कि बच्चे का जन्म किस पाये में हुआ है ? शास्त्रों में मुख्य रूप से चार पायों का वर्णन है :-
1. चांदी का पाया
2. ताँबे का पाया
3. सोने का पाया
4. लोहे का पाया
हर पाये में जन्मे बालक का शुभाशुभ फल भिन्न होता है l बालक/बालिका का जन्म किस पाये में हुआ है ये निम्न विधि से आसानी से जाना जा सकता है l
जन्म पत्रिका में, लग्न से जातक का चन्द्रमा किस भाव में है ये देखा जाता है..
जन्म लग्न से जातक का चन्द्रमा, यदि पहले, छठे या ग्यारहवें भाव में हो तो बच्चे का जन्म "सोने के पाये" में हुआ है l
यदि जातक का जन्म चंद्र लग्न से भाव.. दो, पांच या नौवें में है तो बच्चे का जन्म चाँदी के पाये में हुआ है l
जन्म लग्न से ज.चन्द्रमा यदि "तीसरे, सातवें या दसवें भाव" में हो तो बच्चे का जन्म "ताम्बे के पाये" में हुआ है l
जन्म लग्न से जातक का चन्द्रमा यदि चौथे, आठवें या बारहवें भाव में.. "मोक्ष-∆" में हो तो बच्चे का जन्म लोहे के पाये में हुआ है l
इस तरीके से कुंडली में देखकर आसानी से बताया जा सकता है की बच्चे का जन्म किस पाये में हुआ है l अब प्रश्न है कि...
किस पाये का क्याँ फल होता है?
"चाँदी के पाये" में अगर बच्चेका जन्म हुआ है तो *बच्चा परिवार में सुख समृद्धि लेकर आता है l बच्चा सुखों में पलता है l परिवार का मान सम्मान में वृद्धि होती है l माता पिता की तरक्की होती है l
अगर बच्चा "सोने के पाये" में पैदा हुआ है तो, बालक "चिंता-दायक" ज्यादा शुभ नहीं है l ऐसा "बच्चा रोगी" होता है तथा "बचपन में ही इस बच्चे की स्वास्थ समस्या, दवाईयाँ शुरू हो जाती हैं l "परिवार की शुखशान्ति भंग होती है l" जातक के पिता को, शत्रुओं का सामना करना पड़ता है और धन की हानि भी हो सकती है l
इसकी शांति के लिए बच्चे के वजन के बराबर गेंहू का दान करना चाहिए l अगर संपन्न हो तो सोने का दान भी किया जा सकता है l
ताम्बे के पाये में उत्पन्न बच्चा, "पिता के व्यापार में वृद्धि, "लक्ष्मि- पति" बनाता है और परिवार में सुख-समृद्धि लेकर आता है l
लोहे के पाये में पैदा हुआ बच्चा परिवार के लिए "भारी कष्टदायक" होता है l बच्चा कुछ़ रोगी रहता है l पिता के लिए बच्चा विशेषतया भारी होता है l परिवार में कोई शोकप्रद घटना भी होती है l
इस लिए, यदी किसि जातक का लोहे के पाये में जन्म हो तो माता-पिताको, परिवारजन सह, बच्चे के बचपनमें ही शास्त्रानुसार अावश्यक उचित "ग्रह-शांति" करवानी चाहिए