ग्रह अनुसार रत्न धारण करने के नियम


1- अगर सूर्य को शक्तिशाली बनाना है तो माणिक्य रत्न पहने । कम से कम सवा पांच रत्ती या फिर 7 - 9 रत्ती के माणिक को स्वर्ण की अंगूठी में, रविवार के दिन पुष्य योग में दाहिने हाथ की अनामिका अंगुली में धारण करें ।

2 - चंद्र ग्रह को शक्तिशाली बनाने के लिए लिए मोती रत्न को पहनना चाहिए । मोती कम से कम सवा तीन रत्ती का तो होना चाहिए, इसे चांदी की अंगूठी में बनाकर शुक्ल-पक्ष के किसी भी सोमवार को रोहिणी नक्षत्र में धारण करना चाहिए ।

3- मंगल ग्रह को शक्तिशाली बनाने के लिए पांच रत्ती का मूंगा रत्न सोने या तांबे की अंगूठी में मंगलवार के दिन अनुराधा नक्षत्र में सूर्योदय से एक घंटे बाद तक के समय में ही पहनना चाहिए ।

4- बुध ग्रह का प्रधान रत्न पन्ना रत्न होता है, पन्ना रत्न पांच रंगों का होता है । हल्के पानी के रंग जैसा, तोते के पंखों के समान रंग वाला, सिरस के फूल के रंग के समान, सेडुल फूल के समान रंग वाला, मयूर पंख के समान रंग वाला । इन सभी रंगों में श्रेष्ठ मयूर पंख के समान रंग वाला माना जाता है, यह चमकीला और पारदर्शी कम से कम छह रत्ती का प्लेटिनम या सोने की अंगूठी में बुधवार के दिन सुबह 5 से 6 बजे के बीच ही दाहिने हाथ की सबसे छोटी उंगली में उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में धारण करना चाहिए ।

5- बृहस्पति के लिए पुखराज रत्न सबसे उत्तम है । पुखराज रत्न 5, 7, 9,या 11 रत्ती का सोने की अंगूठी में दाहिने हाथ की तर्जनी अंगुली में गुरु-पुष्य योग में ठीक सूर्यास्त के समय धारण करना चाहिए है ।

6- -शुक्र ग्रह को शक्तिशाली बनाने के लिए हीरा रत्न कम से कम दो कैरेट का मृगशिरा नक्षत्र में बीच की मध्यमा अंगुली में पहनना चाहिए ।

7- शनि ग्रह की शांति के लिए नीलम रत्न सबसे अधिक लाभकारी है । पांच, छह, सात, नौ अथवा ग्यारह रत्ती का नीलम रत्न शनिवार को श्रवण नक्षत्र में पंचधातु की अंगूठी में मध्यमा अंगुली में पहनना चाहिए ।

8- राहु के लिए छह रत्ती का गोमेद रत्न उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में बुधवार या शनिवार को पंचधातु की अंगुठी में मध्यमा अंगुली में पहनना चाहिए ।

9- केतु के लिए छह रत्ती का लहसुनिया रत्न गुरु पुष्य योग में गुरुवार के दिन सूर्योदय से पूर्व पंचधातु की अंगुठी में मध्यमा अंगुली में पहनना चाहिए ।