जिस व्यक्ति की कुंडली में मंगल केतु की अशुभ युति होती है उसके सम्बन्ध अपने भाई , मित्रो , पड़ोसियों से ज्यादा लम्बे समय तक टिकते नहीं है, जैसे ही इसके सम्बन्ध दुसरो से खराब हो जाते है इसके अन्दर एक अजीब सी सोच उत्पन्न होती है के दुसरो के साथ क्या ऐसा करू जिससे वह परेशान हो जाए या मुसीबत में आ जाए ।
इस युति वाले जातको को संतान सम्बन्धी काफी कष्ट उठाने पड़ते है , गर्भपात की भी काफी घटनाए होती है । ऐसे युति वालो को उच्च रक्तचाप समबन्धी या खून से सम्बंधित परेशानियों का सामना करना पड़ता है यह 28 से 32 और 48 से 50 या मंगल , केतु के दशा में ज्यादा होने की सम्भावना बनी रहती है ।
इसी दौरान फोड़े फिनसिआ या किसी और तरह से चमड़ी , एलर्जी से खराब हो जाती है । इस युति के कारण जातक में जोश तो होता है लेकिन वह जोश ज्यादा लम्बे समय तक बरकरार नहीं रह पाता जिस कारण व्यक्ति अधिक समय तक किसी मुद्दे पर स्थिर नहीं रहते हैं, जल्दी ही उनके अंदर का उत्साह कम हो जाता है और वह उस काम से हट जाते हैं । यह युति व्यक्ति को हिंसक बना देती है।
इस योग से प्रभावित जातक अपने क्रोध पर नियंत्रण नहीं रख पाते और कभी-कभी जेल यात्रा भी कर बैठते हैं। अगर यह युति शुभ हो तो ऐसा जातक पुलिस और सेना में नौकरी करता है और आध्यात्मिक विचारो में रूचि रखने वाला होता है, साधु सन्यासी से विशेष रूप से प्रभावित रहते है , इनके घर में कोई सन्यासी भी हो सकता है। यह युति जातक को जीवन में अचानक लाभ - हानि करवा देती है।
यह युति ग्रहो की अपनी अपनी दशा में धन दौलत और मान सम्मान भी भरपूर देती है ।यह युति राजनीति और सरकार से सम्बंधित कार्य में उन्नति भी करवा देती है इस युति वालो को दूसरे के ऊपर शासन करने की लालसा बनी रहती है.