यह स्तोत्र स्वामी कार्तिकेय भगवान् पर रचाया गया है. कार्तिकेय भगवान् शिव-पार्वती के पुत्र है। यह स्तोत्र का वर्णन रुद्रयामल तंत्र नामक ग्रन्थ में किया गया है। इस स्तोत्र में कार्तिकेय भगवान् जी के नामो का वर्णन किया गया है। यह स्तोत्र अति प्रभावशाली है। South India में कार्तिकेय “सुब्रम्हण्य” नाम से प्रसिद्ध है।
वाणी की अधिष्ठात्री मां सरस्वती जी को विद्या, ज्ञान और बुद्धि की देवी कहते हैं। यूतो सरस्वती माता को कई सारे स्त्रोत समर्पित है किंतु यह स्त्रोत अपने आप में ही एक अलग महत्व रखता है। प्रज्ञावर्धन स्तोत्र एक ऐसा स्तोत्र है जो कि स्मरण शक्ति को तीव्र करता है। स्मृति का तीव्र होना एक बहुचर्चित व्यक्तित्व कि पहचान है। आज के युग में वही व्यक्ति सफल होता है। जो प्रत्येक स्थित पारिस्थित – को याद रख पाता है। यह स्तोत्र विद्यार्थियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
विद्यार्थी जन इसका नित्य पाठ कर किसी भी विषय का अध्यन सरलता पूर्वक कर सकते हैं, और उनका पढ़ा हुआ उन्हें निश्चित याद होगा यह सर्व सिद्ध है। हर रोज इस स्तोत्र के 11 पाठ तथा मंत्र के 108 जप करने से बुद्धि में सुधार, ज्ञान में वृद्धि तथा हर परीक्षा में उत्तम परिणाम की प्राप्ति होती है। श्री प्रज्ञा वर्धन स्तोत्रम का पठन अथवा श्रवण करने से आपको विद्या, ज्ञान, बुद्धि आदि की प्राप्ति होती है। जो बच्चा बोल नहीं पाता है यदि उसके माता-पिता उस बच्चे के नाम से संकल्प लेकर इस श्री प्रज्ञा वर्धन स्तोत्र का पाठ करेंगे तो शीघ्र ही वह बच्चा बोलने लग जाता है।
प्रज्ञा विवर्धन स्तोत्र करने की विधि:
यह पाठ देवी सर्वस्वती को समर्पित है। इस के पाठ से विद्या, ज्ञान और बुद्धि में वृद्धि होती है। इस पाठ बहुत ही शुभ मानते है। स्त्रोत के महात्स्य के अनुसार किसी भी माह के पुष्य नक्षत्र से ले कर अगले पुष्य नक्षत्र तक इसका पाठ करना चाहिए इससे सरस्वती माता हमे अपना आशिवाद बनाएं रखती है। इसका नित्य 10 बार पाठ करना पड़ता है। अगर आप इसका और भी अच्छा फल प्राप्त करना चाहते है।
तो इस का पाठ आप पीपल के पड़े के नीचे करे पीपल के पेड़ के नीचे इसका पाठ करने से आपको इसका अत्यंत ही लाभ दायक फल की प्राप्ति होंगी। यह पाठ कब करना चाहिए, माना गया है की इस स्रोत का पाठ सुबह ब्रह्म मुहूर्त में करना अति शुभ माना जाता है। क्यों की ब्रह्म मुहूर्त के कई सारे विशेषताएं है। (प्रज्ञा विवर्धन स्तोत्र पीडीएफ हिन्दी में) इसलिए इस का पाठ ब्रह्म मुहूर्त में आती उत्तम माना गया है। करीब करीब इस का पाठ आप को 4 से 5 बजे के मद्य करना चाहिए।
प्रज्ञा विवर्धन स्तोत्र के लाभ और फायदे:
नियमित इस स्तोत्र के पठन से मानशिक शक्ति पढ़ हुआ याद रखनेकी शक्ति बढ़ती है, और बुद्धि तेज हो जाती है। और ऐसा भी कहा गया है जो गूंगा हो वह बात करने को सक्षम हो जाता है। इतनाही नहीं जिसे बोलने में तकलीफ हो, जो बोलनेमें अडखडाता हो वैसे बच्चों को इस स्तोत्र के पठन से लाभ हुआ है इसमें कोई संशय नहीं है की इससे लाभ नहीं होगा क्यों की यह अनुभव सिद्ध बात रही है। वाणी की अधिष्ठात्री मां सरस्वती जी को विद्या ज्ञान और बुद्धि की देवी कहते हैं।
श्री प्रज्ञा वर्धन स्तोत्रम का पठन अथवा श्रवण करने से आपको विद्या, ज्ञान, बुद्धि आदि की प्राप्ति होती है। जो बच्चा बोल नहीं पाता है यदि उसके माता-पिता उस बच्चे के नाम से संकल्प लेकर इस श्री प्रज्ञा वर्धन स्तोत्र का पाठ करेंगे तो शीघ्र ही वह बच्चा बोलने लग जाता है।विद्यार्थी जन इसका नित्य पाठ कर किसी भी विषय का अध्यन सरलता पूर्वक कर सकते हैं, और उनका पढ़ा हुआ उन्हें निश्चित याद होगा यह सर्व सिद्ध है। हर रोज इस स्तोत्र के 11 पाठ तथा मंत्र के 108 जप करने से बुद्धि में सुधार, ज्ञान में वृद्धि तथा हर परीक्षा में उत्तम परिणाम की प्राप्ति होती है।
प्रज्ञा विवर्धन स्तोत्र का पाठ:
।। प्रज्ञा विवर्धन स्तोत्र ।।
।। श्री गणेशाय नमः ।।
अस्य श्री प्रज्ञाविवर्धन स्तोत्र मंत्रस्य सनत्कुमार ऋषी स्वामी कार्तिकेयो देवता अनुष्टुप छंद: मम सकल विद्यासिध्यर्थं जपे विनियोग:
योगीश्वरो महासेन कार्तिकेयोग्निनंदन|
स्कंद:कुमार सेनानी स्वामी शंकर संभव:||1||
गांगेयस्ताम्रचुडश्च ब्रम्हचारी शिखीध्वज|
तारकारीरुमापुत्र क्रौञ्चारिश्च षडाननः||2||
शब्दब्रम्ह समुद्रश्च सिद्ध सारस्वतो गुहः|
सनत्कुमारो भगवान् भोगमोक्षफलप्रदः||3||
शरजन्मा गणाधीश पूर्वजो मुक्तीमार्गक्रूत्|
सर्वागम प्रणेताच वांछितार्थ प्रदर्शनः||4||
अष्टाविंशति नामानि मदीयानिती यः पठेत्|
प्रत्युषम् श्रद्धया युक्तो मुको वाचस्पतीर्भवेत्||5||
महामंत्रमया निती ममनामानु कीर्तनम्|
महाप्रज्ञामवाप्नोति नात्र कार्याविचारणा||6||
इति श्री रूद्रयामले प्रज्ञाविवर्धनाख्याम् श्रीमद् कार्तिकेय स्तोत्रम् संपूर्णम्
Pradnya Vivardhan Stotra With Lyrics | प्रज्ञाविवर्धन स्तोत्रम् | Kartikeya Mantra |