शनि चन्द्रमा का विषयोग आपकी कुंडली में क्या घटित करेगा ?


ज्योतिष में चन्द्र और शनि का योग विष योग के नाम से प्रसिद्ध है इसका कारण भी आप समझ लें की ज्योतिष में शनि को जहर का कारक माना गया है । चन्द्र पानी का कारक होता है और जब उसमे शनि का जहर मिल जाता है तो वो जहरीला हो जाता है। चन्द्र दूध का भी कारक होता है और जब दूध में जहर मिलता है तो सफ़ेद से नीला हो जाता है और नीला रंग राहु का माना गया है और शनि का भी अर्थात इन दोनों ग्रहों का पूर्ण प्रभाव जातक पर पड़ता है। 

चन्द्र हमारे मन और मानशिक सुख का कारक है तो शनि उदासी वराग्य के कारक होते है। जब चन्द्र को शनि का साथ मिलता है तो जातक में चन्द्र की चंचलता ख़त्म हो जाती है । इस पर शनि की उदासी हावी हो जाती है। जातक मानशिक रूप से अशांत रहने लग जाता है और एक वराग्य की भावना का उसमे जन्म होने लग जाता है।

चन्द्र हमारी माता का भी कारक होता है और शनि का प्रभाव जातक की माता को भी स्वास्थ्य से सम्बंधित समस्या प्रदान करता है। 

आप ने नोट किया होगा की अमावस्या जो की शनि की होती है उसमे चन्द्र नही निकलता है । शनि के अँधेरे में चन्द्र गुम हो जाता है । यानी जब शनि का पूर्ण अशुभ प्रभाव चन्द्र पर हो तो जातक को चन्द्र से सम्बंधित समस्या का सामना करना पड़ जाता है। 

लाल किताब में भी चन्द्र को धन और शनि को खजांची कहा गया है और जब इन दोनों का साथ हो तो जातक के धन की रखवाली जहरीला सांप करता है। यानी जातक के पास धन हो तो भी वो उसका प्रयोग नही कर सकता यानी धन की थैली पर सांप कुण्डली मार कर बैठ जाता है।

लेकिन मित्रों चन्द्र शनि का साथ देखते ही विष योग नही कह देना चाहिए। सबसे पहले तो इनके अंश देखो यदि इनके अंशो में 12 अंश का अंतर है तो इनका योग ऍप्लिकेबल नही होगा और अपना पूर्ण दुस्प्रभाव नही दे पायेगा।

इसके बाद ये देखो की किस लग्न की कुंडली में ये योग किस भाव में बन रहा है जैसे मेष लग्न की कुंडली में यदि ये दोनों लग्न में ही हो तो ये योग ऍप्लिकेबल होगा क्योंकि शनि मेष राशि में नीच के होते है लेकिन यही योग यदि दसम भाव में हो तो ये योग ऍप्लिकेबल नही होगा क्योंकि शनि अपनी ही राशि में होगा और चन्द्र अपने भाव को देख रहा होगा। 

इसी तरह यदि ये योग चाहे कोई भी लग्न हो 6 8 12 भाव में पूर्ण रूप से लागू होगा। ऐसे में चन्द्र अपना कारक वस्तुओं के अलावा कुंडली के जिस भाव के मालिक होंगे उसके सुख में भी कमी के योग बनेगे जैसे मेष लग्न में चोथे भाव यानी वाहन भूमि माता ग्रहस्थ सुख आदि के सुख में शनि कमी करेगा। इसी प्रकार आप अन्य लग्न को देखकर इसके फल का अंदाज़ा लगा सकते हो।

लेकिन मित्रो डरने की जरूरत नही है ज्योतिष में यदि कोई कुयोग है तो उसका तोड़ भी है।