भक्त अपनी इच्छा और शरीर की शक्ति के अनुसार एक समय भोजन के साथ, केवल पानी के साथ, पानी के बिना उपवास चुन सकते हैं. हालांकि यह उपवास शुरू करने से पहले तय किया जाना चाहिए. हालांकि उपवास करने में असमर्थ लोग तरल पदार्थ ले सकते हैं, या यदि जरूरत हो तो फलहारी खाद्य पदार्थ भी ग्रहण कर सकते हैं. एकादशी या व्रत के फलस्वरूप एकादशी के दिन व्रत का पालन करते हुए उस रात को जागरण भी करते हैं और साथ ही भगवान विष्णु की पूजा भी करते हैं.
एकादशी पर ध्यान रखने योग्य बातें
एकादशी व्रत का एक मुख्य पर्व हैं इसीलिए इस दिन नीचे दी गयी निम्न चीज़े अवश्य करनी चाहिए.
एकादशी के दिन अपनी श्रद्धा के अनुरूप दान अवश्य करना चाहिए.
इस दिन आपने व्रत रखा हो या नहीं लेकिन किसी और के द्वारा दिया गया भोजन ग्रहण ना करे.
इस दिन दूध से बनी चीज़े, फल, फलाहारी पदार्थ, बादाम या पिस्ता का सेवन भगवान को भोग लगाकर करना चाहिए.
भोग लगाते समय भोग में तुलसी का पत्ता अवश्य रखे.
एकादशी के अगले दिन यानि द्वादशी पर ब्राह्मण भोज करवा के दान दक्षिणा करना चाहिए.
महत्व:
इस एकादशी व्रत के करने के 26 फायदे हैं- व्यक्ति निरोगी रहता है, राक्षस, भूत-पिशाच आदि योनि से छुटकारा मिलता है, पापों का नाश होता है, संकटों से मुक्ति मिलती है, सर्वकार्य सिद्ध होते हैं, सौभाग्य प्राप्त होता है, मोक्ष मिलता है, विवाह बाधा समाप्त होती है, धन और समृद्धि आती है, शांति मिलती है
एकादशी व्रत के लाभ
एकादशी व्रत के पुण्य के समान और कोई पुण्य नहीं है ।
जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।
जो पुण्य गौ-दान सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।
एकादशी करनेवालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं ।
एकादशी व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है ।
धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है ।
कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनता है ।
परमात्मा की प्रसन्नता प्राप्त होती है ।