व्यापार पर ग्रहों का प्रभाव , कोन सा व्यापार करना होगा शुभ


हर व्‍यक्ति अपने करियर में सफल होना चाहता है, फिर चाहे वह नौकरी में हो या व्यापार में. हालांकि, कई बार ऐसा हो नहीं पाता है. व‍िभिन्‍न प्रकार की रुकावटों या नकारात्‍मक घटनाओं के कारण व्‍यक्ति को सफलता मिल नहीं पाती है. 

ग्रह हमारे जीवन शैली पर भी बड़ा असर डालते हैं. हर तरह का व्यापार किसी न किसी ग्रह से संबंधित होता है. यदि जातक की कुंडली में उस ग्रह की स्थिति मजबूत हो तो उसे बड़ी कामयाबियां मिलती हैं, वरना उसे नुकसान का सामना करना पड़ता है!    

  जमीन - निर्माण या ठेकेदारी का व्यवसाय

यदि आप जमीन से जुड़ा या ठेकेदारी से जुड़ा व्यवसाय करना चाहते हैं तो आपको पहले कुंडली में स्थित अपने मंगल की स्थिति देखना होगी क्योंकि इस व्यवसाय का मुख्य ग्रह मंगल है अगर आपका मंगल ही यह कमजोर होगा तो व्यवसाय डूब सकता है

शिक्षा, सलाहकारिता का व्यवसाय

बुध, बृहस्पति और शुक्र बुद्धि के कारक ग्रह होते हैं अतः इस तरह के व्यवसाय के लिए कुंडली में स्तित बुध, बृहस्पति और शुक्र की स्थिति देखना होगी पर मुख्य रूप से इस व्यवसाय के लिए बृहस्पति की स्थिति देखना चाहिए

 लोहे, कोयले या पेट्रोल का व्यवसाय

लोहे, कोयले या पेट्रोल का व्यवसाय शनि से जुड़ा होता है और कुछ हद तक मंगल से भी यह व्यवसाय जुड़ा होता है इसलिए इस तरह के कोई भी व्यवसाय करने के लिए कुंडली में शनि और मंगल की स्थिति देखना आवश्यक है.

 दशम भाव का विश्लेषण

कुंडली में व्यापार या नौकरी को दशम भाव से देखा जाता है दशम भाव के स्वामी को दशमेश या कर्मेश या कार्येश कहते हैं इस भाव से यह देखा जाता है कि व्यक्ति सरकारी नौकरी करेगा अथवा प्राइवेट? या व्यापार करेगा तो कौन सा और उसे किस क्षेत्र में अधिक सफलता मिलेगी? 

सप्तम भाव साझेदारी का होता है इसमें मित्र ग्रह हों तो पार्टनरशिप से लाभ शत्रु ग्रह हो तो पार्टनरशिप से नुकसान मित्र ग्रह सूर्य, चंद्र, बुध, गुरु होते हैं शनि, मंगल, राहु, केतु ये आपस में मित्र होते हैं सूर्य, बुध, गुरु और शनि दशम भाव के कारक ग्रह हैं

ऐसा भी कहा जाता है कि मन का स्वामी चंद्र जिस राशि में हो, उस राशि से स्वामी ग्रह की प्रकृति के आधार पर या चंद्र से उसके युति अथवा दृष्टि संबंध के आधार पर यदि कोई व्यक्ति अपनी आजीविका अथवा कार्य का चयन करता है बलवान चंद्र से दशम भाव में गुरु हो तो गजकेसरी नामक योग होता है किंतु गुरु कर्क या धनु राशि का होना चाहिए ऐसा जातक यशस्वी, परोपकारी धर्मात्मा, मेधावी, गुणवान और राजपूज्य होता है यदि जन्म लग्न, सूर्य और दशम भाव बलवान हो तथा पाप प्रभाव में न हो तो जातक शाही कार्यों से धन कमाता है और यशस्वी होता है.

कुंडली में व्यापार या नौकरी को दशम भाव से देखा जाता है दशम भाव के स्वामी को दशमेश या कर्मेश या कार्येश कहते हैं। इस भाव से यह देखा जाता है कि व्यक्ति सरकारी नौकरी करेगा अथवा प्राइवेट? या व्यापार करेगा तो कौन सा और उसे किस क्षेत्र में अधिक सफलता मिलेगी? सप्तम भाव साझेदारी का होता है इसमें मित्र ग्रह हों तो पार्टनरशिप से लाभ शत्रु ग्रह हो तो पार्टनरशिप से नुकसान। मित्र ग्रह सूर्य, चंद्र, बुध, गुरु होते हैं। शनि, मंगल, राहु, केतु ये आपस में मित्र होते हैं। सूर्य, बुध, गुरु और शनि दशम भाव के कारक ग्रह हैं